नई दिल्ली: 77वें स्वतंत्रता दिवस पर अपना मकान चाहने वालों के लिए सरकार जल्द लाएगी योजना
नई दिल्ली: शहर में अपना मकान बनाने का सपना रखने वालों के लिए सरकार जल्द ही नई योजना लेकर आ रही है। यह घोषणा मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 77वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से की। योजना के तहत शहर में मकान बनाने के इच्छुक लोगों को बैंकों से मिलने वाले ऋण के ब्याज पर सरकार राहत देगी।
प्रधानमंत्री आवास योजना (अर्बन) के तहत क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी स्कीम में सरकार पहले से छोटे मकान की खरीदारी पर बैंक से मिलने वाले ऋण पर सब्सिडी दे रही है। इस योजना के तहत ऋण के ब्याज पर अधिकतम 2.67 लाख रुपये की सब्सिडी सरकार की तरफ से दी जाती है। लेकिन मंगलवार को प्रधानमंत्री की उक्त घोषणा के बाद जानकार मान रहे हैं कि सरकार इस सब्सिडी का दायरा बढ़ा सकती है। इससे शहरों में मकानों की मांग और निर्माण दोनों में बढ़ोतरी होगी।
प्रधानमंत्री ने कहा कि शहर में जो कमजोर लोग होते हैं, वे अपने मकान के बिना मुसीबत में रहते हैं। ये लोग किराये के मकान में रहते हैं, झुग्गी-झोपड़ियों में रहते हैं, चाल में रहते हैं या अनधिकृत कालोनियों में रहते हैं। शहर में रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवार अपने खुद के घर का सपना देख रहे हैं। हम इन परिवारों के लिए आने वाले कुछ वर्षों के लिए एक योजना लेकर आ रहे हैं जिसके तहत अपना मकान बनाने वालों को बैंक से मिलने वाले ऋण के ब्याज पर लाखों रुपये की मदद का फैसला किया गया है।
शहरों में रहने वाले कम आय वर्ग के लोगों को मकान देने के लिए सरकार ने 2015 में प्रधानमंत्री आवास योजना ( अर्बन) की घोषणा की थी। इसके तहत शहरों में 1.18 करोड़ मकान बनाने को मंजूरी दी गई है और इस वर्ष जुलाई तक 76.02 लाख मकान लाभार्थियों को सौंपे जा चुके हैं। 17 सितंबर से शुरू होगी विश्वकर्मा योजना जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली: लाल किले से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसी वर्ष विश्वकर्मा जयंती (17 सितंबर) के मौके पर विश्वकर्मा योजना शुरू करने की घोषणा की। यह योजना बढ़ई, लोहार जैसे परंपरागत पेशे से जुड़े लोगों को ताकत देगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले पांच वर्षों में सरकार की विकास नीतियों के कारण 13.5 करोड़ लोग गरीबी की जंजीर तोड़कर मध्यम वर्ग में शामिल हुए हैं।
उन्होंने कहा कि विश्वकर्मा योजना से गांवों- कस्बों एवं छोटे शहरों में औजार एवं हाथ से काम करने वाले लोहार, सुनार, सुतार, बढ़ई, नाई, राजमिस्त्री एवं कपड़े धोने वाले समूह को नई ताकत मिलेगी। इनमें से ज्यादातर कामगार अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) से आते हैं। विश्वकर्मा योजना
के जरिये सरकार उन्हें रोजगार का सीधा माध्यम देकर अपनी पैठ बनाएगी। इस योजना पर 13 से 15 हजार करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके पहले भी आवास एवं पीएम स्वनिधि जैसी विभिन्न योजनाओं ने उन्हें मदद दी है। रेहड़ी-पटरी वालों तक 50 हजार करोड़ रुपये पहुंचाए गए हैं। उन्होंने कहा कि गरीबी कम होने पर मध्यम वर्ग की ताकत बढ़ जाती है।
उनकी क्रय एवं व्यापार की शक्ति बढ जाती है। इससे आर्थिक व्यवस्था में तेजी आती है। उन्होंने पीएम किसान सम्मान निधि का भी उल्लेख किया।