D. B. Cooper अमेरिका की हिस्टरी में होने वाला पहला प्लेन हाइजैक। कभी ना सुलझने वाला रहस्य

Aug 20, 2023 - 22:15
Aug 23, 2023 - 21:42
D. B. Cooper अमेरिका की हिस्टरी में होने वाला पहला प्लेन हाइजैक। कभी ना सुलझने वाला रहस्य

D.B cooper: 1979 में एक अमेरिकन एयरलाइन्स के जहाज को टेकऑफ किए अभी चंद मिनट ही गुजरे थे कि सबसे पीछे वाली सीट पर बैठे एक पैसेंजर ने एयर होस्टेस को अपने पास बुलाया और हंसते हुए एक चिट्ठी उसको थमा दी। वो चिट्ठी में सिर्फ चंद अल्फ़ाज़ ही लिखे थे जिसने पूरे अमेरिका में हलचल मचा कर रख दी। वो पैसेन्जर कौन था और एफबीआइ आज तक उसको जिंदा या मुर्दा क्यों नहीं ढूंढ पाई? ढूंढ ना तो दूर की बात अमेरिका की सबसे पॉवरफुल इंटेलिजेंस एजेंसी पिछले 50 सालों से उस पैसेंजर की एक ज़र्रे बराबर भी इन्फॉर्मेशन कलेक्ट नहीं कर पाई। 

दोस्तों इस इंट्रेस्टिंग स्टोरी की शुरुआत 24 नवंबर 1971 को पोर्टलैंड एअरपोर्ट से हुई थी। एक शख्स जो दिखने में तो बिज़नेस मैन लगता था, उसने पोर्टलैंड में सिएटल का टिकट बुक करवाया और सीधा जहाज की तरफ बढ़ने लगा। तब अमेरिका में डोमेस्टिक फ्लाइट्स पर किसी किस्म की भी कोई शक्ति नहीं थी, ना ही पैसेंजर्स का सामान चेक किया जाता था। और ना ही कोई आइडेंटिटी वेरिफिकेशन की जाती थी।

ये नॉर्थ वेस्ट ओरिएंट एयरलाइन का जहाज बोइंग 727 था, जिसको सिर्फ 45 मिनट्स में पोर्टलैंड से सिएटल तक पहुंचना था। सनग्लासेस लगाएं एक ब्रीफकेस के साथ डेन कूपर नाम यह पैसेंजर इस जहाज में सवार हुआ और अपनी पसंद की सीट पर जाकर बैठ गया। जो जहाज की सबसे आखिरी सीट थी। उसने अपने लिए एक ड्रिंक ऑर्डर की और साथ ही सिगरेट भी जला दी।

यहाँ तक सब कुछ नॉर्मल चल रहा था क्योंकि फ्लाइट में स्मोकिंग करना भी सेवंटीज में अलाउड था। ठीक 2:58 मिनटों पर फ्लाइट टेकऑफ हो गई। टेकऑफ होते ही डेन कूपर पीछे मुड़ा और पास में बैठी एक एयर होस्टेस को हँसते हुए एक लिफाफा थमा दिया। एयर होस्टेस जिसका नाम फ्लोरेन्स शोफ़्फ़्नर था, उसने जब वो चिट्ठी पड़ी तो जैसे उसके पैरों तले जमीन खिसक गई।। मेरे पास बॉम है और मैं चाहता हूँ कि आप मेरे पास आकर बैठ जाए।

फ्लोरेन्स शोफ़्फ़्नर जब डैन कूपर के बराबर में आकर बैठी तो उसने अपना ब्रीफकेस खोला जिसमें डाइनामाइट की आठ स्टिक और एक डेटोनेटर भी मौजूद था। इनशोर्ट जहाज हाइजैक हो चुका था। और डैन कूपर की टोटल 3 डिमांड थी। उसकी पहली डिमांड यह थी कि उसको 5:00 बजे से पहले पहले $2,00,000 कैश दो पेराशुट्स और सिएटल एरपोर्ट पर रीफ्यूअललिंग ट्रक रेडी चाहिए था। अपनी डिमांड के आखिर में उसने फ्लोरेन्स से इन डाइरेक्टली ये भी बोला।

की अगर कोई गलती हुई तो मैं बॉम्ब ब्लास्ट कर दूंगा। डेन कूपर के अलावा इस जहाज में 35 पैसेंजर्स थे, जिनको पीछे जहाज में होने वाले इस वाक्य का बिल्कुल भी पता नहीं था। फ्लोरेन्स डेन कूपर की डिमांड लेकर कॉकपिट में गई और कैप्टन को सारा माजरा सुना दिया। एक दूसरी एयर होस्टेस जिसका नाम टीना मक्लो था, वो अब एक इंटरकोम लेकर डेन कूपर के साथ आकर बैठ गई, जो पायलट और डेन कूपर के दर्मियान मेंसेज पहुंचाने का काम कर रही थी।

याद रहे कि यह अमेरिका की हिस्टरी में होने वाला पहला प्लेन हाइजैक था जो रैन्सम के लिए किया गया था। इसी वजह से लोकल ऑथोरिटीज़ और एसबीआइ ने फैसला किया कि हाइजैकर की सारी डिमांड्स पूरी की जाए। ज़ाहिर है ऑथोरिटीज को भी मालूम था कि डेन कूपर उन से भागकर ज्यादा दूर नहीं जा पाएगा। फ्लाइट जीसको सिर्फ 45 मिनट्स में ही सिएटल में लैंड करना था। वो अब अगले डेढ़ घंटे तक एअरपोर्ट के गिर्द चक्कर लगाती रही और बकाया 35 पैसेंजर्स जो इस सारे वाकये से बिल्कुल बेखबर थे।

उनको बताया गया कि टेक्निकल डिफिकल्टी इसकी वजह से प्लेन की लैंडिंग में दुश्वारी हो रही है। इस दौरान सिएटल नेशनल बैंक से $20 के 10,000 नोट इकट्ठे किए गए, जिनके सीरियल नंबर नोट कर लिए गए थे और एक करीबी स्काइडाइविंग क्लब से दो पैराशूट की जोड़ी भी अरएन्ज की थी। 5:45 मिनट में जहाज़ को लैंड कराया गया और वादे के मुताबिक डेन कूपर को पैसे से भरा एक बैग और दो पैराशूट्स के पैर दिए गए। 

साथ ही साथ जहाज को रिफ्यूल भी कर दिया गया। अपनी मांगें पूरी करवाने के बाद डेन कूपर ने 35 पैसेंजर्स और दो फ्लाइट क्रू को जहाज से उतरने की परमिशन दे दी, जबकि पायलट्स और दो फ्लाइट क्रू को जहाज में रहने को कहा गया। इस वक्त रात हो चुकी थी और जहाज फिर से एक बार टेकऑफ कर गया। डेन कूपर ने अपने साथ बैठी टीना के जरिए पायलट को कुछ खास इन्स्ट्रक्शन भेजी।

वह चाहता था कि जहाज के लैंडिंग गियर और स्टेयर केस खुले रहे। ऐल्टिट्यूड 10,000 फ़ीट हो स्पीड 320 किलोमीटर पर घंटा हो और जहाज को सीधा मेक्सिको सिटी लेकर जाया जाये। पायलट ने बाकी तमाम डिमांड तो पूरी कर दी, लेकिन जहाज को सीधा मेक्सिको सिटी लेकर जाना फ्यूल की वजह से इम्पॉसिबल था।  लिहाजा पायलट ने डेन कूपर को रीफ्यूअललिंग के लिए दो ऑप्शन्स दिए। रेनो या फिर फिनिक्स डेन कूपर रेनो पर राजी हो गया। दूसरी तरफ लोकल और फेडरल और अथॉरिटीज़ भी अपना काम कर रही थी। दो फाइटर जेट्स को जहाज के पीछे रवाना किया गया लेकिन वह इतनी स्लो स्पीड मेनटेन नहीं कर पा रहे थे।

इसी वजह से उन्होंने जहाज के इर्द गिर्द चक्कर लगाना शुरू कर दिया। रात के अंधेरे में जहाज रेनो की तरफ रमा दबा था। इतने में डेन कूपर ने पास में बैठी टीना को कॉकपिट में जाने को कहा, जहाँ दो पायलट्स और एक फ्लाइट अटेंडेंट मौजूद थी। जब टीना कॉकपिट का दरवाजा बंद करने के लिए पलटी तो उसने आखिरी बार सिर्फ इतना देखा कि डेन कूपर अपनी कमर पर कुछ बांध रहा था। उसके बाद जहाज की सीढ़ियाँ खुली और डेन कूपर ने वहाँ से छलांग लगा दी। 

इसके बाद जो कुछ भी हुआ पिछले 50 सालों से उसको आज तक डिस्कस किया जा रहा है। तीन घंटों के बाद जब जहाज रेनो में     लैंड हुआ तो पूरे जहाज को अच्छी तरह चेक किया गया लेकिन जहाज में ना ही कूपर था और ना ही कोई बॉम मिल सका, ना सिर्फ जहाज में बल्कि इस वाकये के बाद बेन कूपर का कहीं और पता नहीं चल सका। ना ही जिंदा और ना ही मुर्दा आखिरी डेन कूपर कौन था? और पूरे अमेरिका की आँखों को धोखा देकर वह कहाँ चला गया?

ये केस फेडरल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन का वो कैसे जीसको आज तक बंद नहीं किया गया डेन कूपर को किसी ने प्लेन से जम करते तो नहीं देखा था, लेकिन स्टेयर केस खुला रह जाने की वजह से यह बात तो क्लियर थी कि उसने सिएटल और रेनू के बीच में कहीं ना कहीं छलांग लगा ली। एसबीआइ ने जहाज पर सबूत तलाश करना शुरू कर दिए लेकिन बदकिस्मती से उनको सिर्फ कूपर की टाई नजर आईं। कूपर की टाई आठ सिगरेट बज़ और दो में से एक पैराशूट मिला।

जो कूपर पीछे छोड़ गया था, हेरानी की बात  किसी के पास उसकी फोटो तक नहीं थी। पैसेंजर्स और क्रू से इंटरव्यू लेने के बाद डेन कूपर हुलिये के हिसाब से उसका स्केच बनवाया गया। इससे पहले कि डेन कूपर को सीऐटल और दोनों के बीच में तलाश किया जाता, एफबीआई को जानना था कि उसने एग्ज़ैक्ट्ली कौनसी जगह पर प्लेन से जम किया था। यह जानना ज्यादा मुश्किल नहीं था क्योंकि जहाज ऑटो पायलट मोड पर था यानि जीस स्पात पर जहाज फ्लाइ कर रहा था। वो ऑलरेडी रिकॉर्ड था।

जहाज की स्पीड और ऐल्टिट्यूड तो पहले से मालूम ही था। साथ ही साथ फ्लाइट रिकॉर्डर की मदद से मालूम पड़ा कि जहाज का स्टेयर केस 8:10 पर खुला था। इन तमाम इन्फॉर्मेशन की बेसिस पर डेन कूपर की ड्रॉप लोकेशन का अंदाजा लगाकर एक सर्च एरिया डिफाइन किया गया। यह 45 स्क्वेर किलोमीटर का एरिया घने जंगलात और पहाड़ों से घिरा हुआ है। एरियल टीम और लैंड सर्च टीम ने इस पूरे एरिया का चप्पा चप्पा छान लिया, लेकिन नक उबर का कोई नामोनिशान मिला।

और ना ही कोई ब्रीफकेस मिला या फिर पैसे। इस पूरे एरिया में इतनी सर्दी दी थी कि सबको लगा कि डेन कूपर मर गया होगा, लेकिन उसके बाद जो हुआ वह एफबीआइ के वेहन और गुमान में भी नहीं था। अमेरिकन हिस्टरी में पहली बार एफबीआई ने इस केस के लिए पब्लिक से हेल्प लेना शुरू कर दी। डेन कूपर का एक स्केच और $2,00,000 के सीरियल नंबर भी अखबारों में प्रिंट किए गए और डेन कूपर के बारे में कोई भी इन्फॉर्मेशन देने पर इनाम देने का वादा भी किया गया।

उनका ख्याल था कि कूपर अगर जिंदा होगा तो वो पैसे कहीं ना कहीं जरूर खर्च करेगा। लेकिन हैरतअंगेज तौर पर उस सीरियल नंबर का एक भी नोट कभी भी, कहीं भी दोबारा ज़ाहिर नहीं हुआ। लेकिन मामला अभी खत्म नहीं हुआ था। करीब नौ सालों के बाद यानी 1980 में एक वाकया हुआ। वॉशिंगटन में कोलंबियन रिवर के किनारे एक बीच है जीसको। टीना बार बीच कहा जाता है जहाँ एक बच्चा अपने पेरेंट्स के साथ खेल रहा था।

जब उसको रिवर के किनारे नोटों की तीन गड्डियां मिलीं। यह $20 के नोटों की गड्डियां थी, जो टोटल $5800 बनते थे। बच्चे के पैरंट्स यह पैसे लेकर एसबीआइ के पास गए। खुशकिस्मती से इनके सीरियल नंबर उन नोटों से मेच कर गये जो डेन कूपर लेकर गया था। डेन कूपर हाइजैकिंग केस में नौ सालों के बाद यह पहली प्रोग्रेस थी, लेकिन बजाय केस को सॉल्व करने के इस वाक्य ने केस को और ज्यादा उलझा कर रख दिया क्योंकि ये पैसे ड्रॉप लोकेशन से करीब 27 किलोमीटर   दूर पाए गए थे। पहले ही यह समझा गया कि ड्रॉप ज़ोन में वाकई लुईस रिवर में यह पैसे डेन कूपर से ही गिर गए होंगे और वहाँ से बहते हुए कोलंबियन रिवर तक आए होंगे। लेकिन बाद में नोटिस किया गया कि कोलंबियन रिवर तो ऑपोजिट डायरेक्शन में फ्लो करती है। यानी पैसे लुईस रिवर से वेहकर टीना बार बीच तक किसी भी सूरत पर नहीं पहुँच सकते। एफबीआइ के लिए यह मामला तो सुलझने के बजाय उलझता ही जा रहा था।

ना सिर्फ इतना बल्कि टीना बार बीच जहाँ से ये पैसे बरामद हुए या 1974 में कुछ खुदाई का काम किया गया। हाइजैकिंग के तीन सालों के बाद टीना बार बीच के किनारे एक्स्ट्रा रेत डाली गई थी और मिलने वाले पैसे इस रेत के अंदर पाए गए थे। इस इन्फॉर्मेशन से तो ज़ाहिर होता है कि डेन कूपर या फिर उसके किसी साथी ने जानबूझकर केस को उलझाने के लिए तीन सालों के बाद टीना बार बीच पर आकर ये पैसे दफनाने थे।

इस केस को लेकर एफबीआई ने कूपर जैसे दिखने वाले लोगों से इन्वेस्टिगेशन की लेकिन कोई खास सुराग न मिल सका। कई थ्योरीज ये भी कहती हैं कि कूपर शायद कोई ट्रेंड मिलिट्री कमांडो था क्योंकि जो पैराशूट वो अपने साथ लेकर गया था वो एक मिलिटरी पैराशूट था और उसको ऑपरेट करना उस पैराशूट से ज्यादा मुश्किल था जो वह प्लेन में ही छोड़कर गया था। 1980 में $5800 कैश मिलने के अलावा बकाया 9710 नोट दोबारा कभी भी नहीं मिल पाए।

एविडेन्स के तौर पर एसबीआइ के पास डेन कूपर के इस स्केच के अलावा सिर्फ ये टिकट है जिसमें उसने खुद अपना नाम लिखा था और यह टाई जिसपर क्लिप लेफ्ट साइड पर लगी थी जिससे यह ज़ाहिर होता है कि डेन कूपर लेफ्ट हैंडर था। इस केस ने एफबीआई को पिछले 50 सालों से सवालों में उलझा कर रखा है। आज भी एफबीआई की वेबसाइट पर इस केस की तमाम डिटेल्स मौजूद है और इस केस की फाइल आज भी खुली हुई है।