Japan Radioactive Water जापान अगले 30 सालों तक समुद्र में क्यों छोड़ता रहेगा रेडियोएक्टिव पानी?
Japan Radioactive Water

Japan Radioactive Water पडोसी चीन, दक्षिण कोरिया के विपक्षी दल और पर्यावरण संगठनों के विरोध के बावजूद जापान ने क्षतिग्रस्त फुकुशिमा दाइची परमाणु संयंत्र से उपचारित रेडियोएक्टिव पानी गुरुवार से प्रशांत महासागर में छोड़ना शुरू कर दिया है। आखिर क्यों हो रहा है विरोध और जापान के लिए क्यों जरूरी है छोड़ना पानी? एक नजर...
कितना पानी छोड़ रहा?
540 ओलंपिक स्विमिंग पूल भर जाने जितना लगभग 13.4 लाख टन पानी प्रशांत महासागर में छोड़ने की प्रक्रिया जापान ने शुरू कर दी है। जापान के मुताबिक फुकुशिमा संयंत्र को बंद करने की लंबी और महंगी प्रक्रिया में पानी छोड़ना एक जरूरी कदम है क्योंकि उसकी भंडारण क्षमता खत्म हो रही है।
कैसे जमा हुआ इतना दूषित जल?
2011 के विनाशकारी भूकंप और सुनामी के बाद फुकुशिमा परमाणु संयंत्र की बिजली आपूर्ति और शीतलन प्रणालियों को गंभीर क्षति पहुंची। छह में से तीन रिएक्टर पिघल गए। कोर रिएक्टर के मलबे को लगातार ठंडा रखने के लिए इस्तेमाल पानी को स्टील के टैंकों में रखा गया है। इस रेडियोएक्टिव पानी में वर्षा जल और भूजल भी मिल गया है, जिससे मात्रा बढ़ गई है।
कितना समय?: फिल्टर और पतला किए जाने के बाद सारा पानी करीब 30 साल की अवधि में धीरे-धीरे छोड़ा जाएगा। पहले डिस्चार्ज में लगभग 17 दिन लगेंगे। अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आइएईए) ने जुलाई में इस योजना को हरी झंडी देते हुए कहा कि यह अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करती है और लोगों और पर्यावरण पर इसका प्रभाव ’नगण्य’ होगा।
खतरे में सेहत?: डर है कि उपचारित होने के बाद भी पानी में रेडियोएक्टिव तत्व हो सकते हैं। विषाक्त पानी से समुद्री जीवों सहित इंसानों की सेहत खतरे में आ सकती है। इसी के चलने चीन ने जापान से सी-फूड आयात पर प्रतिबंध बढ़ा दिया। मकाऊ व हांगकांग ने भी यही किया है। खुद फुकुशिमा के मछुआरे भी पानी को समुद्र में छोड़ने का विरोध कर रहे हैं।
जापान ने क्यों बताया सुरक्षित?
जापान की सरकार का कहना है पानी छोड़ना सुरक्षित है। उपचार के बाद अधिकांश रेडियोएक्टिव तत्व हट गए हैं या सुरक्षित माने जाने वाले मानक पर आ गए हैं। पानी में केवल ट्राइटियम बाकी है, वह भी बहुत-ही हल्की मात्रा में। जिसका सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा। हालांकि, कई स्टडी कहती है ट्राइटियम से कैंसर हो सकता है। -प्रस्तुति: अमित पुरोहित