डेल्टा के शिकार, डायबिटिक और कार्डियक हिस्ट्री वाले मरीज कराएं नियमित जांच

Aug 17, 2023 - 19:17

चिकित्सा विज्ञान ने भी अब यह मान लिया है कि कोविड का सर्वाधिक दुष्प्रभाव दिमाग, दिल और फेफड़ों पर अटैक के रूप में सामने आ रहा है।

कोविड की दूसरी लहर में डेल्टा वैरिएंट के शिकार लोगों में ब्लड क्लॉट बनने के असर से अटैक और आपात मौतों की घटनाओं को एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन इंडिया के नेशनल और इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित किया गया है।

 राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.सुधीर भंडारी की इस स्टडी को पोस्ट कोविड थ्रोंबो एंबोलिक फिनामिना नाम दिया गया है। राजस्थान पत्रिका में चंद पलों में जा रही जान शीर्षक से प्रकाशित समाचार में प्रदेश भर में हजारों आपात मौतें हॉर्ट और ब्रेन अटैक के कारण होने की जानकारी दी गई थी।

स्टडी के अनुसार डेल्टा वैरिएंट के शिकार लोगों में ब्लड क्लॉट बन रहे हैं। इसके कारण हॉर्ट अटैक, स्ट्रोक या लंग्स पर असर के मामले सामने आ रहे हैं। इसमें डी डायमर बढ़ जाता है और हॉर्ट-लंग्स में छोटे-छोटे ब्लड क्लॉट हो जाते हैं। इसका इतना असर हो रहा है कि पूरी तरह स्वस्थ व्यक्ति भी अचानक मौत का शिकार हो जाता है।

दूसरी लहर में कोविड के शिकार, डायबिटीज के मरीज, कोविड के बाद डायबिटीज के शिकार और कार्डियक हिस्ट्री वाले मरीज को नियमित रूप से अपनी कार्डियक जांच कराते रहना चाहिए। इनमें यह भी देखा जाना जरूरी है कि उनमें ब्लड क्लॉट बनने या ब्लॉकेज के हालात तो नहीं बन रहे।

वैक्सीन को आपात मौत का कारण वैज्ञानिक दृष्टि से प्रमाणित नहीं है। प्री अवेयर से इसे रोका जा सकता है। डॉ.सुधीर भंडारी, कुलपति, राजस्थान स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय