राहुल ने पूछा, गरीब के बैंक खाते में हर माह 6 हजार रुपए भेजे तो

Aug 19, 2023 - 11:30
Aug 25, 2023 - 01:29
राहुल ने पूछा, गरीब के बैंक खाते में हर माह 6 हजार रुपए भेजे तो

ई दिल्ली. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चार दिन पहले जहांगीरपुरी निवासी सब्जी विक्रेता रामेश्वर व उसके परिवार से अपने आवास पर मुलाकात की और खाना खाया था। कांग्रेस ने शुक्रवार को उनकी बातचीत का पूरा वीडियो जारी किया है। इसमें कांग्रेस नेता राहुल गांधी गरीब लोगों के खाते में हर महीने 6 हजार रुपए भेजने की योजना का जि₹ करते हुए रामेश्वर से कहते हैं, वे इस बारे में क्या सोचते हैं। इसके जवाब में रामेश्वर कहते हैं,गरीब के लिए इससे बड़ा सुकून नहीं होगा। राहुल आगे कहते हैं कि अरबपतियों को इतना पैसा मिलता है और कर्जा माफ होता है। यदि थोड़ा पैसा साल के 72 हजार रुपए गरीबों को मिल जाएगा तो कुछ नहीं बिगड़ने वाला है।

राहुल ने रामेश्वर से उनके कामधंधे और परिवार को लेकर बात की। रामेश्वर ने उनसे कहा कि वे उत्तर प्रदेश के रहने वाले हैं। जीवन में खुशहाली, अमन चैन की उम्मीद के साथ गांव छोड़कर दिल्ली आए, लेकिन यहां जीवन बदतर हो गया। दस साल में मजदूरी के सभी काम किए। बेटे की शादी के चलते 4 फीसदी की दर से बाजार से कर्ज लिया। रामेश्वर ने भावुक होकर कहा कि आज भगवान से लड़ाई खत्म हो गई। इस मुलाकात की तुलना कृष्ण-सुदामा से करते हुए कहा कि सरकार तो सुनती नहीं है, राहुल ने हमारी फरियाद सुनी है।

क्यों मिले रामेश्वर से

दरअसल, जहांगीरपुरी के सब्जी विक्रेता रामेश्वर के पास सब्जी खरीदने के पैसे नहीं होने की बात कहते हुए आंखों में आंसू का वीडियो वायरल हुआ था। इसके अगले दिन रामेश्वर से मिलने राहुल गांधी आजादपुर सब्जी मंडी पहुंचे थे, लेकिन उनकी मुलाकात नहीं हो सकी। सब्जी विक्रेता रामेश्वर ने चैनल पर राहुल से मिलने की इच्छा जताई, जिसके बाद राहुल ने 14 अगस्त को रामेश्वर को परिवार समेत घर पर खाने के लिए बुलाया।

एक तरफ बेरोजगारी का गहरा कुआं, दूसरी ओर महंगाई की खाई

राहुल ने इस मुलाकात के बाद कहा कि वह भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत से ही लोगों के दुख-दर्द पहचान रहे हैं। अनायास एक दिन रामेश्वर का वीडियो सामने आया-एक आम इंसान, एक खुद्दार और ईमानदार भारतीय मेहनत से अपने परिवार का पालन करना चाहता है, मगर उनकी आंखें मजबूरी के आंसुओं से भरी हुई है।

आज करोड़ों अन्य भारतीयों की तरह रामेश्वर के एक तरफ बेरोजगारी का गहरा कुआं, तो दूसरी ओर महंगाई की खाई है। रामेश्वर ने उम्मीदें टूटने के किस्से बताए, मगर उनकी हिम्मत असल मायने में आशा की सुनहरी किरण है। जब तक हर सुविधा लोगों तक नहीं पहुंचती, यात्रा नहीं रुकेगी।