स्क्रब टाइफस: कीट के काटने के 10 मिनट बाद ही दिखते हैं लक्षण, व्यक्ति कोमा में भी जा सकता

Aug 13, 2023 - 18:58
Aug 13, 2023 - 19:07
Scrub Typhus: मानसून के समय वेक्टर जनित बीमारियों का प्रकोप बढ़ जाता है। इस समय मलेरिया-डेंगू के मामलों में इजाफा हो रहा है। वहीं स्क्रब टाइफस के मामले भी बढ़ने लगे हैं। यह मच्छर जनित रोग नहीं है, बल्कि माइट्स (एक कीट) के काटने से यह बीमारी फैलती है। चूंकि मानसून में माइट्स की संख्या बढ़ जाती है इसलिए स्क्रब टाइफस बढ़ जाता है। अक्सर हाउस पैट्स (कैट्स और डॉग्स) की वजह से भी यह रोग फैलता है। जानिए इस रोग के बारे में...

कौन-कौनसे होते हैं माइट्स : माइट पैंट्स के कफ और शर्ट की आस्तीन और कॉलर के माध्यम से त्वचा को संक्रमित करते हैं। इनमें हार्वेस्ट माइट्स, बग, लाइस हो सकते हैं।

स्क्रब टाइफस क्या है?

स्क्रब टाइफस वह बीमारी है जो ओरिएंटिया त्सुत्सुगामुशी नामक बैक्टीरिया के कारण होने वाली होती है। स्क्रब टाइफस के लक्षण कई अन्य वेक्टर जनित या रिकेट्सियल बीमारियों के लक्षणों के समान होते हैं। इसमें बेक्टीरिया एक तरह का एंडोटॉक्सिन छोड़ते हैं जिससे बुखार चढ़ने लगता है। इसके बैक्टीरिया माइट्स के काटने से फैलते हैं।

एंटीबायोटिक्स से इलाज

आमतौर पर माइट्स के काटने के 10 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने शुरू हो जाते हैं। यदि इस रोग के लक्षण नजर आएं तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लें। एंटीबायोटिक्स से इस बीमारी से पीड़ित मरीज जल्दी ठीक हो जाते हैं। लेकिन समय पर इलाज न मिलने पर यह रोग गंभीर हो जाता है। बुखार ब्रेन तक पहुंच सकता है और मरीज कोमा में जा सकता है।

क्या हैं लक्षण
  • बुखार आना, ठंड लगना
  • सिरदर्द 
  • शरीर में दर्द
  • चकत्ते और मांसपेशियों में दर्द
  • लिम्फ नोड्स का बढ़ना
  • कोमा की स्थिति में चले जाना।

कैसे करें बचाव

  • हाउस पैट्स की स्वच्छता का ध्यान रखें। उन्हें समय-समय पर कंघी करते रहें, रोजाना नहलाएं। अपने बिस्तरों से उन्हें दूर रखें।
  • चादरें, कम्बल व अन्य कपड़ों को गर्म पानी में धोएं।
  • अपने कपड़े, कंघे और तौलिए को किसी अन्य को उपयोग न करने दें।
  • कारपेट में बारीक नमक छिड़ककर वैक्यूम क्लीनर से साफ कर दें।
  • घर के कोनों में नीलगिरि के तेल का स्प्रे करें।
  • बोरेट एसिड का भी कोनों में छिड़काव कर सकते हैं।
  • पालतू जानवरों के कंघी करने के बाद रोजमैरी ऑयल, सिट्रस ऑयल लगा सकते हैं।

-डॉ. सुधीर गांगेय, फिजिशियन, भिलाई, छत्तीसगढ़