बैक्टीरिया से लड़ने वाले ‘अच्छे वायरस’ बैक्टीरियोफेज की जरूरत हे
‘वायरोम’ एकदम अलग किस्म का वायरस।
सभी बैक्टीरिया जानलेवा नहीं होते बल्कि कुछ अच्छे भी होते हैं। बैक्टीरिया की तरह, ‘अच्छे’ या ‘अनुकूल’ वायरस भी स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकते हैं। वैज्ञनिक अब ‘वायरोम’ वायरस की चर्चा करने लगे हैं। यह एकदम अलग किस्म का वायरस है। ये विशाल आकार के हैं और बहुत कुछ माइक्रोबायोम बैक्टीरिया की तरह। ऐसे भी वायरस हैं जो हमारी प्रतिरोध प्रणाली को रोगाणुओं से लड़ने के लिए मजबूत बनाते हैं, कैंसर कोशिकाएं नष्ट करते हैं, ट्यूमर को विखंडित करने में मदद करते हैं और कुछ तो गर्भावस्था में जीन व्यवहार को भी नियंत्रित करते हैं।
कभी सोवियत दवा थी बैक्टीरियोफेज।
बैक्टीरियोफेज जिन्हें फेज भी कहा जाता है, कभी सोवियत दवा थी। सोवियत काल के रूस में एंटीबायोटिक दवाओं की कमी के कारण, फेज का उपयोग बैक्टीरिया से संक्रमण के इलाज में किया जाता था और जॉर्जिया, यूक्रेन और रूस जैसे देशों में इनका उपयोग दशकों से जारी रहा। जॉर्जिया फेज थैरेपी के एक प्रमुख वैश्विक केंद्र के रूप में विकसित हो चुका है। बेल्जियम, जर्मनी और अमरीका भी असाधारण मामलों के लिए फेज का इस्तेमाल करने लगे हैं। अभी एक रिसर्च रिपोर्ट में नीति-निर्माताओं से यह सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया है कि बैक्टीरिया खाने वाले वायरसों को बेहतर ढंग से इस्तेमाल में लाया जाए, न सिर्फ दवा के रूप में बल्कि खाद्यजनित संक्रमणों के खिलाफ भी।
दवाओं में कितने कारगर होंगे फेज?
विशेषज्ञ इसका जवाब ‘शायद हां’ में देते हैं। जर्मनी के यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल कोलोन के संक्रामक रोग विशेषज्ञ गर्ड फैटकेनहेउर कहते हैं द्ग फेज थैरेपी को बिल्कुल उन बैक्टीरिया के अनुरूप बनाया जाना चाहिए जो रोगी में संक्रमण का कारण बनते हैं। येना यूनिवर्सिटी अस्पताल में इंस्टीट्यूट फॉर इंफेक्शियस मेडिसन एंड हॉस्पिटल हाइजीन के निदेशक माथियस प्लेत्स का मानना है चूंकि मनुष्य बिना किसी प्रासंगिक दुष्प्रभाव के भोजन के साथ हर दिन अरबों बैक्टीरियोफेज का सेवन करता है, तो ऐसे में मनुष्य का शरीर फेज थैरेपी को अच्छी तरह सहन करने में सक्षम होना ही चाहिए।