World Mosquito Day 20 August महान आविष्कारों से लाखों लोगों की जान बचाने वाले वैज्ञानिक

Aug 20, 2023 - 11:08
World Mosquito Day 20 August  अगस्त का दिन वर्ल्ड मॉस्किटो डे के नाम से मनाया जाता है, क्योंकि 1897 में इसी दिन ब्रिटिश डॉक्टर सर रोनाल्ड रॉस ने मच्छरों और मलेरिया के बीच संबंध की खोज की थी। इस खोज से मलेरिया के उपचार की राह प्रशस्त हुई। दुनिया में सर रोनाल्ड रॉस की तरह कई अन्य चिकित्सा वैज्ञानिक हैं, जिनकी खोजें चिकित्सा जगत के लिए वरदान साबित हुई हैं।

खोज ने दिलाया नोबेलसर रोनाल्ड रॉस (1857-1932)

सर रोनाल्ड रॉस (1857-1932): ब्रिटिश चिकित्सा विज्ञानी और ब्रिटेन के पहले नोबेल पुरस्कार विजेता चिकित्सक सर रोनाल्ड रॉस को मच्छरों के माध्यम से मलेरिया के संचरण पर उनके काम के लिए जाना जाता है। उन्होंने पाया कि मच्छर के भीतर मलेरिया परजीवी होता है, जिससे मच्छरों और इस खतरनाक बीमारी के बीच संबंध स्थापित हो गया। वे मच्छरों को पकड़कर चीड़-फाड़ करते और मच्छर के काटे हुए रोगियों को के खून का सैंपल लेकर सूक्ष्मदर्शी से अध्ययन करते थे। वैज्ञानिकों को मलेरिया को बेहतर ढंग से समझने में मदद की, बल्कि लोगों को उन बुनियादी तरीकों के बारे में भी शिक्षित किया।

दो बूंद जिंदगी की

जोनास साल्क (1914-1995): 1950 के दशक में दुनिया भर में लोग, विशेषकर बच्चे पोलियो से खतरनाक तरीके से पीड़ित हो रहे थे। जोनास साल्क ने सबसे पहले इस खतरनाक बीमारी के टीके की खोज की। जोनास साल्क एक अमरीकी वायरोलॉजिस्ट और चिकित्सा शोधकर्ता थे, जिन्होंने टीकाकरण को सभी के लिए अनिवार्य बनाने के लिए सक्रिय रूप से अभियान चलाया था। उन्होंने पोलियो के खिलाफ पहला प्रभावी टीका बनाया। \'किल्ड-वायरस\' वैक्सीन में नष्ट किए गए पोलियोवायरस का ही उपयोग किया गया था। इन टीकों को इस्तेमाल हजारों लोगों के सामूहिक टीकाकरण के लिए किया गया था।

रक्त स्कैन करने की सटीक तकनीक

रोजलिन येलो (1921-2011):अमरीकी चिकित्सा भौतिक विज्ञानी रोजलिन येलो को रेडियोइम्यूनोएसेज (आरआईए) तकनीक के विकास के लिए 1977 में फिजियोलॉजी व मेडिसिन में नोबेल पुरस्कार मिला। इसका इस्तेमाल खून में पेप्टाइड हार्मोन को मापने के लिए किया जाता है। येलो के उपचार की यह तकनीक इतनी सटीक थी कि इसका इस्तेमाल एचआईवी और हेपेटाइटिस जैसी सक्रामक बीमारियों के लिए रक्तदान को स्कैन करने के लिए किया गया। बाद में इस पद्धति से वैज्ञानिकों को यह साबित कर दिखाया कि टाइप-2 मधुमेह शरीर द्वारा इंसुलिन का ठीक से इस्तेमाल नहीं कर पाने के कारण होता है।

इम्युनोलोजी के जनक

एडवर्ड जेनर (1749-1823): जेनर को चेचक के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रदान करने वाले टीके के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है। उस वक्त चेचक घातक बीमारी थी, जो लाखों लोगों की जान ले चुकी थी। जब चिकित्सक चेचक की दवा ढूंढने में व्यस्त थे, जेनर ने देखा कि गाय का दूध दुहने वाली महिलाएं किसी कारण से चेचक की चपेट में नहीं आईं, जबकि अन्य लोग इस बीमारी से संक्रमित हो रहे थे। जांच करने पर उन्होंने पाया कि इन महिलाओं के बच्चे काउपॉक्स नाम की अलग बीमारी से संक्रमित थे, लेकिन यह भी कि चेचक की तुलना में बहुत कम घातक थी। इस जानकारी के आधार पर उन्होंने टीका विकसित किया। उसे इतिहास का पहला टीका कहा जाता है।

एंटीबायोटिक दवा के जनक

सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग (1881-1955): स्कॉटिश फार्माकोलॉजिस्ट सर अलेक्जेंडर फ्लेमिंग को मोल्ड पेनिसिलियम नोटेटम और एंजाइम लाइसोसोम से एंटीबायोटिक पदार्थ बेंजिलपेनिसिलिन (पेनिसिलिन जी) के आविष्कार के लिए जाना जाता है। पेनिसिलियम नोटेटम के कारण पेनिसिलिन का आविष्कार हुआ। यह ऐसी एंटीबायोटिक दवा है, जिसका इस्तेमाल आज अनगिनत बीमारियों के लिए किया जाता है, जिनमें स्कार्लेट बुखार, निमोनिया, स्ट्रेप थ्रोट, रक्त विषाक्तता, डिप्थीरिया, सिफलिस और गोनोरिया शामिल हैं। उनकी यह खोज आकस्मिक थी। एक दिन उन्होंने देखा कि कवक या फफूंद के पास कुछ खाली जगह थी। फिर शोध से उन्होंने पता किया कि इसमें कोई ऐसा पदार्थ है, जो जीवाणुओं की बढ़ोतरी को रोकता है। यह एंटीबायोटिक एजेंट आज भी लाखों लोगों की जिंदगियां बचा रहा है।