RBI Latest Updates ईएमआइ नहीं चुकाई तो जुर्माने पर ब्याज नहीं। फिक्स्ड ब्याज का मिलेगा विकल्प
Rbi Latest Updates आरबीआई गाइडलाइन जारी नई दिल्ली. लोन की किस्त (ईएमआई) भरने में देरी होने पर बैंक मनमानी पेनल्टी व दंडात्मक ब्याज (पेनल चार्जेज ) नहीं वसूल सकेंगे। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों व वित्तीय कंपनियों को राजस्व बढ़ाने के लिए ब्याज को कमाई का जरिया बनाने पर चिंता जताते हुए पेनल्टी के नए नियम बनाए हैं। ये 1 जनवरी-24 से लागू होंगे।
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने अप्रैल में इसकी घोषणा की थी। अब इसकी गाइडलाइन जारी की है। आरबीआइ ने कहा कि बैंक लोन की शर्तों के उल्लंघन या डिफॉल्ट पर लगाए जुर्माने पर ब्याज नहीं वसूल सकते। सामान्यतः बैंक लोन के ब्याज में ही पेनल्टी को जोड़ देते हैं। और उस पर भी ब्याज वसूलते हैं। आरबीआइ के मुताबिक पेनल्टी पर ब्याज लेना गलत है।
क्रेडिट कार्ड पर नहीं होगा लागू आरबीआइ की ओर से रेगुलेटर बीमा संस्थाओं पर नए नियम लागू होंगे। इनमें सभी वाणिज्यिक बैंक, सहकारी बैंक, एनबीएफसी, एक्जिम बैंक, नाबार्ड, एनएचबी और सिडबी शामिल हैं। हालांकि क्रेडिट कार्ड, वाणिज्यिक उधार और ट्रेड क्रेडिट्स को नए नियमों के दायरे से बाहर रखा गया है। शक्तिकांत दास, आरबीआई गवर्नर
बताना होगा कितना लगेगा जुर्माना
आरबीआइ ने कहा कि लोन का भुगतान नहीं करने पर जुर्माना लगाया गया तो यह पेनल चार्ज के रूप में होना चाहिए। यह पेनल इंटरेस्ट के रूप में नहीं होना चाहिए। पेनल इंटरेस्ट लोन के रेट ऑफ इंटरेस्ट में जुड़ जाता है, जिससे लोगों को जुर्माने पर भी ब्याज चुकाना पड़ता है। आरबीआइ के नए नियमों के मुताबिक लोन एग्रीमेंट में बैंकों को ग्राहकों को बताना होगा कि लोन की शर्तों के उल्लंघन पर कितना पेनल चार्ज लगेगा और किन गलतियों पर यह लागू होगा। ग्राहकों को भेजे नोटिस में पेनल्टी का उल्लेख करना भी जरूरी होगा।
फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट में कर सकेंगे स्विच
भारतीय रिजर्व बैंक ने लोगों को एक और राहत देते हुए बैंकों और वित्तीय संस्थानों से कहा है कि ब्याज दरें नए सिरे से तय करते समय लोन लेने वाले ग्राहकों को ब्याज की निश्चित (फिक्स्ड) दर चुनने का विकल्प उपलब्ध कराएं। आरबीआइ ने शुक्रवार को जारी अधिसूचना में कहा कि बैंक ब्याज दर बढ़ने पर कर्ज की अवधि या मासिक किस्त (ईएमआई) बढ़ा देते हैं। इस बारे में ग्राहकों को सूचना नहीं दी जाती और न ही सहमति ली जाती है। रिजर्व बैंक ने कहा कि बैंकों को ग्राहकों को बताना चाहिए कि ब्याज दर में बदलाव की दशा में ईएमआइ या कर्ज की अवधि पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? आरबीआइ ने कहा कि बैंकों को ग्राहकों को यह भी बताया जाए कि उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान फ्लोटिंग से फिक्स्ड रेट चुनने का अवसर कितनी बार मिलेगा। अधिसूचना में कहा गया कि ग्राहकों को समय से पहले पूरे या आंशिक रूप से कर्ज के भुगतान की अनुमति दी जाए। यह सुविधा उन्हें कर्ज की अवधि के दौरान किसी भी समय मिलनी चाहिए।