मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र परेड || सीबीआइ करेगी निर्वस्त्र परेड कराने की जांच, ट्रायल राज्य के बाहर होंगे

Jul 28, 2023 - 08:22
Jul 28, 2023 - 10:50

नई दिल्ली. मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले की सीबीआइ जांच होगी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं इस मामले के ट्रायल भी राज्य के बाहर होंगे। केंद्र सरकार ने इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल करेगी। इस बीच पुलिस ने उस मोबाइल फोन को बरामद कर लिया है, जिससे निर्वस्त्र महिलाओं का वीडियो शूट कर वायरल किया गया था। वीडियो शूट करने वाले आरोपी को भी गिरफ्तार कर लिया गया है।

गृह मंत्रालय के अनुसार शांति व सद्भाव बहाली के प्रयासों के तहत सरकार ने कुकी और मैतेई समुदायों के सदस्यों के साथ अलग-अलग छह-छह दौर की बातचीत की है। अब दोनों समुदायों को एक साथ बैठाकर बातचीत की जाएगी। हिंसा रोकने और शांति व्यवस्था के लिए सेना व अर्द्धसैनिक बलों के करीब 35000 जवान तैनात किए हैं। सुरक्षाकर्मियों ने मैतेई बहुल घाटी इलाकों और कुकी बहुल पहाड़ी इलाकों के बीच एक बफर जोन बनाया है।

उल्लेखनीय है कि मई की शुरुआत से मणिपुर में जारी जातीय हिंसा में करीब 160 लोगों की जान जा चुकी है। इस हिंसा के दौरान ही दो महिलाओं की निर्वस्त्र परेड का वीडियो सामने आया था। इसके बाद देश भर में आक्रोश फैल गया। विपक्षी दल सत्तारूढ़ भाजपा पर हमलावर हैं। विपक्ष ने इसी मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव रखा है।

कर्फ्यू ढंग से लागू न होने से बिगड़े हालात

इंफाल/नई दिल्ली. मणिपुर हिंसा को हवा देने में बड़ी भूमिका झूठी खबरों की भी है। सूत्रों के मुताबिक सिक्योरिटी फोर्स ने जमीनी हालात की रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजी है। इसमें इसका जिक्र किया है। रिपोर्ट में सशस्त्र बल विशेष अधिकार एक्ट (अफस्पा) नहीं होने से भीड़ को नियंत्रित करने में आई मुश्किलों का भी जिक्र किया। रिपोर्ट में कहा कि मणिपुर में ज्यादातर मीडिया एक ही वर्ग संचालित करता है।

इसलिए शुरू से मामले को लेकर एकतरफा खबरें दी गईं। इससे दूसरे वर्ग के खिलाफ गुस्सा इतना भड़का कि हालात बेकाबू हो गए। बाद में इंटरनेट बंद होने और जानकारी के लिए केबल टीवी पर निर्भरता ने एकतरफा खबरों को बढ़ावा दिया। रिपोर्ट में कहा कि झूठी खबरें लोगों तक पहुंची। इससे एक वर्ग को लगा कि उन पर दूसरा वर्ग बहुत अत्याचार कर रहा है। इससे बदले की भावना को बल मिला।

रिपोर्ट के मुताबिक अफस्पा नहीं होने से सेना के हाथ बंधे हुए थे। कर्फ्यू तो लगाया, लेकिन इसका कहीं भी ठीक से पालन नहीं हुआ। कर्फ्यू के बावजूद बड़ी संख्या में लोग बाहर निकले और संघर्ष तेज हुआ। जब भी कहीं हालात बेकाबू हो जाते हैं और सेना की जरूरत होती है तो स्थानीय प्रशासन को लिखित में देना होता है कि सेना टेकओवर कर ले। उसके बाद ही सेना कोई कार्रवाई कर सकती है।

पुलिस भी दो वर्गों में बंटी नजर आई।

रिपोर्ट के मुताबिक फोर्स की तरफ से कई बार स्थानीय प्रशासन से कहा गया कि अगर उनसे हालात काबू में नहीं हो रहे हैं तो एरिया उन्हें दे दें। ऐसा नहीं किया गया। मणिपुर में सब कुछ पुलिस के जिम्मे रहा। पुलिस भी दो वर्गों में बंटी हुई नजर आई।