महिला के दिल में था छेद, अदालत से गर्भपात की इजाजत के बावजूद बच्चे को दिया जन्म
मुंबई. बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक मामले में निर्देश दिया है कि 27वें हफ्ते में आपातकालीन गर्भपात के आदेश के बावजूद पैदा हुए नवजात को फिलहाल अस्पताल में ही रखा जाना चाहिए। जस्टिस गौतम पटेल और जस्टिस नीला गोखले की पीठ ने कहा, चूंकि महिला को स्वास्थ्य से जुड़ी कई समस्याएं हैं, इसलिए उसे भी तब तक अस्पताल से छुट्टी नहीं दी जाए, जब तक वह मेडिकल तौर पर पूरी तरह फिट न हो जाए।
महिला के दिल में छेद पाया गया था। उसकी जान बचाने के लिए गर्भ के 27वें हफ्ते में आपातकालीन गर्भपात की इजाजत मांगी गई। कानूनी रूप से गर्भपात की स्वीकार्य सीमा 24 हफ्ते है। इमरजेंसी देखते हुए महिला को गर्भपात की इजाजत दे दी गई थी, लेकिन उसने जीवित बच्चे को जन्म दिया। रिपोर्ट के मुताबिक मुंबई की इस महिला को मार्च में पता चला कि वह गर्भवती है। उसे 25 जुलाई को तेज खांसी और सांस में तकलीफ होने लगी। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया। उसके दिल में 20 मिलीमीटर का छेद पाया गया। ऐसी अवस्था में गर्भावस्था जारी रखना उसकी जिंदगी के लिए खतरा साबित हो सकता था।
इसलिए भी खतरा...
महिला के दिल में छेद के साथ लोअर रेस्पिरेटरी ट्रेक्ट इंफेक्शन और गंभीर पल्मोनरी आर्टीरियल हायपरटेंशन था। इसलिए भी गर्भावस्था से खतरा था। डॉक्टरों ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि अगर गर्भावस्था अंत तक जारी रहती है तो मां की मृत्यु का जोखिम 30 से 50 फीसदी तक है।
अगला फैसला 21 को अपडेट लेने के बाद
महिला ने 484 ग्राम के बच्चे को जन्म दिया। फिलहाल महिला की हालत स्थिर है। इस मामले में 21 अगस्त को हाईकोर्ट के जज महिला और बच्चे की सेहत का अपडेट लेंगे। उसके बाद अगला फैसला सुनाया जाएगा।