लूना-25 के क्रैश होने से रूस पर क्या होगा असर

Aug 22, 2023 - 10:27

लूना-25 मिशन को चंद्रमा पर भेजने में विफल रहना रूस के लिए अंतरिक्ष में हासिल होने वाली उपलब्धि से चूकना भर नहीं है, बल्कि वैश्विक प्रतिबंधों से जूझ रहे देश की प्रतिष्ठा पर सवाल उठना भी है। मिशन से जुड़े कुछ सवालों पर एक नजर...

कैसे टूटा सपना?

रूसी अंतरिक्ष एजेंसी रोस्कोस्मोस ने 11 अगस्त को सोयुज 2 रॉकेट से अपना लूना—25 अंतरिक्ष यान लॉन्च किया। मिशन में लैंडर शामिल था। लक्ष्य चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास सॉफ्ट-लैंडिंग और धूल—मिट्टी, चट्टानों व और वातावरण का अध्ययन करना था, 20 अगस्त को लूना—25 में कोई खराबी आ गई और वह क्रैश हो गया।

क्यों लॉन्च किया गया?

रोस्कोस्मोस ने कहा कि मिशन लॉन्च का एक कारण था कि \'रूस चंद्रमा की सतह तक पहुंच की अपनी गारंटी सुनिश्चित करना चाहता है।\' कुछ विश्लेषकों के अनुसार रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दिखाना चाहते थे कि यूक्रेन पर आक्रमण से लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों से रूस झुका नहीं है। उधर, इंटरनेशनल लूनर रिसर्च स्टेशन का चीन के साथ नेतृत्व करने के बावजूद रूस कुछ दशकों से किसी अंतरग्रहीय मिशन को सफलता से अंजाम नहीं दे पाया है।

क्यों नहीं बचा सके?

तथ्य यह भी है कि चंद्रयान-3 की ट्रैकिंग में इसरो को नासा व यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी (ईएसए) से भी मदद मिल रही है। उधर, रूस द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों के तहत देश ने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में देशों द्वारा संचालित उपग्रह ट्रैकिंग सिस्टम का उपयोग करने के अपने विशेषाधिकार भी खो दिए। विशेषज्ञों के अनुसार क्रैश से पहले के मुश्किल क्षणों में रूसी अंतरिक्ष एजेंसी लूना-25 के साथ सीमित संचार कर सकी। मिशन बचाने की विंडो का आकार बहुत छोटा रह गया।

अब आगे क्या?: 

लूना—25 की विफलता के जो भी तकनीकी कारण रहे हो, यह स्पष्ट है कि रूस चंद्रमा की दौड़ में पिछड़ गया है। विशेषज्ञों के अनुसार पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों और असहयोग के चलते आगे और तकनीकी व आर्थिक दिक्कतें आ सकती हैं। जरूरी घटकों के आयात में भी परेशानी हो सकती है। ऐसे में लूना-26, 27 और 28 की प्रस्तावित लॉन्चिंग में देरी हो सकती है।-प्रस्तुति: अमित पुरोहित