सरकार ने विपक्ष को घेरा और नौ साल के कामकाज को सामने रखा
नई दिल्ली: अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा का नतीजा विपक्ष को भी मालूम था और सत्ता पक्ष को भी। लेकिन तीन दिन की इस चर्चा ने सत्ता पक्ष को कई मसलों पर विपक्ष को घेरने का मौका दिया तो केंद्र सरकार के 9 साल के कामकाज का लेखाजोखा देने का भी मंच मिला। विपक्ष की अविश्वास प्रस्ताव लाने की मुख्य वजह मणिपुर के हालात थे। सत्ता पक्ष ने चर्चा के दौरान विपक्ष को उसी के दांव में घेरने की कोशिश की साथ ही मणिपुर पर वह जो अपनी वात रखना चाहते थे, वह रखते हुए विपक्ष का मुद्दा ही खत्म करने की कोशिश की।
मणिपुर मसले पर विपक्ष की धार कमजोर
संसद सत्र शुरू होने के साथ ही विपक्ष मणिपुर को न्याय देने की मांग करते हुए लगातार प्रदर्शन कर रहा था। पीएम को सदन में लाने के लिए ही विपक्ष यह अविश्वास प्रस्ताव लाया। सत्ता पक्ष ने इस मौके को विपक्ष का मुद्दा खत्म करने के तौर पर इस्तेमाल किया। गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में हिंसा की वजहों की जानकारी, देते हुए यह मेसेज दिया कि सरकार शुरू से ही मणिपुर मसले पर गंभीर थी लेकिन विपक्ष ही चर्चा नहीं करने दे रहा था।
शाह ने मणिपुर में पहले की सरकारों के दौर में हुई नस्लीय हिंसा और उस पर सरकारों के रिएक्शन का जिक्र करते हुए विपक्ष को जमकर घेरा। शाह ने मणिपुर में शांति की अपील का प्रस्ताव रखकर विपक्ष को उसके ही दांव से चित किया। दरअसल विपक्ष लगातार मांग कर रहा था कि पीएम सदन में आएं और सदन से मणिपुर के लोगों को भरोसा दिलाया जाए और शांति की अपील की जाए ।
गठबंधन को घेरने का मौका
सत्ता पक्ष के लिए यह चर्चा विपक्षी गठबंधन इंडिया को घेरने मौका भी थी। सरकार की तरफ से प्रधानमंत्री सहित लगभग सभी वक्ताओं ने विपक्षी गठबंधन के विरोधाभास सामने रखे। ताया कि कैसे अभी गठबंधन में शामिल पार्टियां कैसे एक दूसरे के खिलाफ काम करती रही और एक दूसरे के नेताओं के खिलाफ वोलती रहीं। यूपीए नाम वदलकर इंडिया रखने को लेकर बीजेपी जिन तर्कों के साथ विपक्ष को घेरते हुए जनता के वीच संदेश देना चाहती थी, वह मौका चर्चा के दौरान मिला। सरकार की तरफ से वक्ताओं ने यूपीए के वक्त के घोटालों का खूव जिक्र किया। सत्ता पक्ष को एनडीए की एकता दिखाने का मौका मिला। साथ ही वाईएसआरसीपी, BJD और TDP भी सत्ता पक्ष के साथ दिखे। BJD जिस तरह सरकार के समर्थन में दिखी उससे ओडिशा में BJP की रणनीति पर नजर रहेगी।
UPA बनाम NDA का फर्क
बीजेपी और एनडीए के वक्ताओं ने सरकार के 9 साल के काम गिनाए । हर मंत्रालय के काम को लेकर आंकड़े देने का यह मौका रहा। साथ ही UPA के 10 साल और एनडीए के 9 सालों के फर्क का जिक्र अमित शाह से लेकर दूसरे बीजेपी वक्ताओं ने किया। एनडीए के सांसदों को अलग अलग मीटिंग में यह बताया गया है कि वह लोगों को यूपीए और एनडीए के कार्यकाल की तुलना करके बताएं, जिससे उन्हें फर्क साफ समझ आएगा। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा को सत्ता पक्ष ने इस मौके के तौर पर खूब इस्तेमाल भी किया। बीजेपी ने चुनावी राज्य मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के अपने नेताओं को भी वक्ताओं में शामिल किया और इन्होंने भी राज्य की जनता तक अपना संदेश पहुंचाने के लिए इस मौके का इस्तेमाल किया ।
अपने मुद्दों से भटके नहीं
सत्ता पक्ष ने विपक्ष पर परिवारवाद, तुष्टीकरण और भ्रष्टाचार का आरोप लगाते हुए खूब तंज भी किए। अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा शुरू होने से पहले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बीजेपी सांसदों को यह मंत्र दे दिया था । जिसका पूरा \'इस्तेमाल सदन में वक्ताओं ने किया । मणिपुर को लेकर सरकार पर लग रहे आरोपों के जवाब में सत्ता पक्ष की तरफ से पश्चिम बंगाल से लेकर राजस्थान तक में हुए महिला अत्याचारों की बात उठाई गई तो 1984 के सिख दंगों से लेकर कश्मीरी पंडितों तक के मामले में कांग्रेस को घेरा । आतंकवादी घटनाओं में कमी के आंकड़े देते हुए सत्ता पक्ष को अपने कोर इशू राष्ट्रवाद के मसले पर भी विपक्ष को घेरने का मौका मिला।
2024 कैंपेन की शुरुआत
बनाने और एजेंडा सेट करने का मौका भी मिला। | BJP को लोकसभा चुनाव के लिए अपने पक्ष में माहौल प्रधानमंत्री ने अपनी स्पीच में न सिर्फ अपनी सरकार के कामों का जिक्र किया बल्कि दावा किया कि अपने तीसरे टर्म में वे भारत की अर्थव्यवस्था को टॉप-3 पर पहुंचाएंगे। पीएम के अटैक का फोकस कांग्रेस, राहुल गांधी और गांधी परिवार रहा। साथ ही पीएम ने बीजेपी और एनडीए का जोश बढ़ाने का भी काम किया। चर्चा के बहाने ही बीजेपी को नॉर्थ-ईस्ट में किए अपने काम गिनाने का भी मौका मिला।