मुरादाबाद दंगों के पीड़ित ने कहा, पुलिसवाले दादा, पिता को लेकर गए थे, आज तक नहीं मिला शव

Aug 10, 2023 - 22:08
Aug 10, 2023 - 22:00

1980 Moradabad Riots मेरठ: मुरादाबाद के 1980 में हुए दंगों की जांच रिपोर्ट मंगलवार को 43 साल बाद विधानसभा में रखे जाने के साथ इसके पीड़ितों के जख्म एक बार फिर हरे हो गए। मुरादाबाद के गलशहीद इलाके के पीड़ित परिवार के सदस्य फहीम हुसैन ने बताया कि 13 अगस्त 1980 को पुलिसवाले उनके घर से दादा अनवर हुसैन, पिता सज्जाद हुसैन, चाचा कैंसर हुसैन और नौकर अब्दुल बिहारी को साथ ले गए थे। 

चारों का जिंदा लौटना तो दूर आज तक किसी का शव तक नहीं मिला। फहीम का कहना है कि ऐसे काफी लोग थे, जो लापता थे। मुरादाबाद के नागफनी निवासी इंद्र दास दंगे को याद कर रोने लगते हैं। उन्होंने कहा कि दंगे ने मैंने अपना भाई प्रेम शंकर खोया था । हम परिवार के साथ भूड़े चौराहे पर रहते थे। प्रेम शंकर दुकान से दूध लेने निकले थे। रास्ते में दंगाइयों ने मार डाला था।

मुरादाबाद का ही रहने वाला है मुस्लिम लीग का नेताः जस्टिस सक्सेना आयोग की रिपोर्ट में मुरादाबाद दंगे के लिए मुस्लिम लीग के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष डॉक्टर शमीम अहमद खान और उनके कुछ साथियों को दोषी ठहराया गया है। शमीम मुरादाबाद के ही रहने वाला है। मुस्लिम लीग के मौजूदा राष्ट्रीय सह सचिव कौसर हयात खां आयोग की रिपोर्ट को झूठा बता रहे हैं। उनका आरोप है कि सब तत्कालीन कांग्रेस सरकार के इशारे पर हुआ था । उनका कहना है कि आयोग जिन शमीम को दोषी बता रहा है, दंगे के मामले में अदालत से शमीम बरी हो गया था।

1980 में दंगों की जांच रिपोर्ट विधानसभा में पेश

  • 155 लोगों की भगदड़ में जान गई थी
  • 29 लोगों के शरीर पर चोटें थीं
  • 1 एसडीएम, चार सिपाहियों की हुई थी भीड़ में हत्या
  • तकरीबन 20 जगहों पर दिन भर में फैल गए थे दंगे

मुरादाबाद, संभल में अलर्ट : दंगों की रिपोर्ट सामने आने के वाद मुरादाबाद और संभल जिले में पुलिस अलर्ट है। रिपोर्ट के बाद बयानबाजी कर रहे नेताओं और संगठनों की गतिविधि पर भी पुलिस नजर रख रही है। सोशल मीडिया पर इसे लेकर की जा रही पोस्ट और उसके कमेंट्स पर भी पुलिस की नजर हैं। 1980 जिस स्थान पर दंगा हुआ था वहां एलआईयू सक्रिय है। इन इलाकों में सादा कपड़ों में पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है।